राजस्थान के नागौर जिले से शिक्षा की लौ जगाने वाले “जगत मामा” नहीं रहे,खुद अनपढ़ रहकर भी जगाई थी शिक्षा की जोत
मोह माया से भरी इस जिंदगी में अगर आप किसी से फकीरी भरी जिंदगी जीने को कहेंगे तो शायद ही वह राजी होगा। लेकिन इस चकाचौंध भरी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं। जी हां, राजस्थान के नागौर जिले के जायल कस्बे में रहने वाले पूर्णाराम गोदारा की कहानी कुछ ऐसी ही है। अपना सबकुछ पूर्णाराम ने बच्चों की शिक्षा पर न्यौछावर कर दिया | अपने कामों की वजह से पूर्णाराम गोदारा को लोग ‘जगत मामा’ के नाम से भी जानते हैं। नागौर जिले के जायल क्षेत्र के राजोद गांव निवासी श्री पूर्णाराम जी छोड़ “जगत मामा” के निधन के समाचार दु:खद है। उनके द्वारा किए गए सद्कार्य उनके व्यक्तित्व को समाज में सदैव जीवंत रखेंगे।

उन्होंने गांव के विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के साथ अपनी 300 बीघा जमीन गांव की स्कूल, ट्रस्ट और गौशाला के लिए समर्पित कर दी। अपना जीवन और पूंजी समाज के लिए समर्पित करने वाले “जगत मामा” सदैव प्रेरणापुंज बने रहेंगे। पूर्णाराम गोदारा के बारे में कहा जाता है कि जब वह घर से बाहर निकलते तो बिना किसी आमंत्रण के नागौर जिले की किसी भी स्कूल में चले जाते और वहां पढ़ने वाले बच्चों को इनाम देकर आते थे| वहीं गांव में किसी स्कूल में कोई प्रतियोगिता होने पर वह अपनी तरफ से घर पर खीर पुरी बनवाते थे| वहीं पूर्णाराम गोदारा गरीब बच्चों के लिए स्कूल की फीस, किताब, ड्रेस, स्टेशनरी, बैग जैसे सामान की व्यवस्था कर देते थे |
नागौर के नेताओं से लेकर आम लोगों ने उनके निधन पर संवेदना व्यक्त की | राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, पूर्व सांसद सीआर चौधरी और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा नागौर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व मकराना से पूर्व विधायक जाकिर हुसैन गेसवात नए भी संवेदना जाहिर की | वहीं अब ग्रामीणों ने पूर्णाराम के निधन के बाद सरकार और जनप्रतिनिधियों से उनकी कहानी स्कूली सिलेबस में शामिल करवाने और जायल राजकीय महाविद्यालय का नाम जगत मामा पूर्णाराम गोदारा के नाम पर करने की भी मांग की है |